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क्या संतों को भगवान के दर्शन होते हैं ?

भारतवर्ष है सिद्ध, संत और महात्माओं की भूमि भारतभूमि सिद्ध, संत और महात्माओं की भूमि है । यहां एक-से-बढ़कर-एक सिद्ध संत हुए हैं । देवता, मनुष्य, राजा, प्रजा—सबमें सच्चे संतों का स्थान सबसे ऊंचा है ।...

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वायुरोगों की रामबाण औषधि हैं हनुमान-मन्त्र

कलियुग में पवनपुत्र हनुमान ग्राम-ग्राम में, घर-घर में पूजे जाते हैं । सच्चे, श्रद्धावान मनुष्य के कष्टों का निवारण करने वाला उनके समान उपकारी व दयालु कोई दूसरा देव नहीं है । सात चिरंजीवियों में से एक...

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भगवान विष्णु का पाषाणरूप है शालग्राम

जहां शालग्राम शिला रहती है वहां भगवान श्रीहरि व लक्ष्मीजी के साथ सभी तीर्थ  निवास करते हैं हिमालय पर्वत के मध्यभाग में शालग्राम-पर्वत (मुक्तिनाथ) है, यहां भगवान विष्णु के गण्डस्थल से गण्डकी नदी निकलती...

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शनिदेव को तेल क्यों चढ़ाया जाता है ?

नवग्रहों में शनिदेव को दण्डाधिकारी का स्थान दिया गया है । वे मनुष्य हो या देवता, राजा हो या रंक, पशु हो या पक्षी सबके लिए उनके कर्मानुसार दण्ड का विधान करते हैं; लेकिन जब स्वयं न्यायाधीश ही गलती करे तो...

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श्रीकृष्णकृपा से मल मास बन गया पुरुषोत्तम मास

सन् 2018 में मई-जून के महीने में (16 मई से 13 जून तक) अत्यन्त पुण्यफलों को देने वाला पुरुषोत्तम मास है । इस वर्ष दो ज्येष्ठ मास होंगे । पुरुषोत्तम मास सब मासों का अधिपति है । भगवान श्रीकृष्ण ही...

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मन के हारे हार है, मन के जीते जीत

तन धन सुखिया कोई न देखा, जो देखा सो दुखिया रे । चंद्र दुखी है, सूर्य दुखी है, भरमत निसदिन जाया रे ।। ब्रह्मा और प्रजापति दुखिया, जिन यह जग सिरजाया रे । हाटो दुखिया, बाटो दुखिया, क्या गिरस्थ बैरागी रे...

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पंचमुखी हनुमान में है भगवान शंकर के पांच अवतारों की शक्ति

शंकरजी के पांचमुख—तत्पुरुष, सद्योजात, वामदेव, अघोर व ईशान हैं; उन्हीं शंकरजी के अंशावतार हनुमानजी भी पंचमुखी हैं । मार्गशीर्ष (अगहन) मास की कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को, पुष्य नक्षत्र में, सिंहलग्न तथा...

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अपने इष्टदेव का निर्णय कैसे करें?

तुम्हें कहां पाऊँ भगवान  ! भूल-भुलैया की जगती में ढूंढू कैसे मैं नादान ? मंदिर में बसते हो तुम यों कहते हैं कोई मतिमान, कोई मस्जिद, कोई गिरजा बतलाते हैं वासस्थान । ऋषि-मुनियों की ओर खींचकर संतत मेरा...

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भगवान की सेवा करते समय रखें इन बातों का ध्यान

भगवान की सेवा सेवा शब्द अत्यन्त व्यापक है इसमें प्राणिमात्र की सेवा से लेकर परमात्मा की पूजा तक ‘सेवा’ कहलाती है । भगवान की सेवा का अत्यन्त गहन अर्थ है । भगवान की सेवा या भगवत्सेवा शब्द मिठास और रस से...

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सुख-समृद्धि देने वाले पांच देवता

एक ही परमात्मा पांच इष्ट रूपों में एक परम प्रभु चिदानन्दघन परम तत्त्व हैं सर्वाधार । सर्वातीत, सर्वगत वे ही अखिल विश्वमय रुप अपार ।। हरि, हर, भानु, शक्ति, गणपति हैं इनके पांच स्वरूप उदार । मान उपास्य...

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गीता के अनुसार कौन है सर्वश्रेष्ठ भक्त

चार प्रकार के भक्त गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं— चतुर्विधा भजन्ते मां जना: सुकृतिनोऽर्जुन । आर्तो जिज्ञासुरर्थार्थी ज्ञानी च भरतर्षभ ।। (७।१६) ‘हे अर्जुन ! आर्त, जिज्ञासु, अर्थार्थी और ज्ञानी—ये...

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दु:खनाश के लिए भगवान शिव के ग्यारह रुद्ररूप

‘रुद्र’ का अर्थ भगवान शिव का एक नाम ‘रुद्र’ है । दु:ख का नाश करने तथा संहार के समय क्रूर रूप धारण करके शत्रु को रुलाने से शिव को ‘रुद्र’ कहते हैं । भगवान रुद्र वेदों में शिव के अनेक नामों में रुद्र नाम...

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दस प्रकार के पापों से मुक्ति का पर्व गंगा दशहरा

चहल पहल हो रही यात्री नहा रहे हैं, कोई गंगाजी में दीपक बहा रहे हैं, मारें डुबकी ‘हर हर गंगे’ बोल रहे हैं, फूल-बताशे और नारियल अर्पण करके, मन ही मन निज मनोकामना कह रहे हैं, सजी-धजी नववधू-सरीखी सुघर...

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अनिद्रा और दु:स्वप्न नाश के 8 प्रभावशाली मन्त्र

अनिद्रा नींद नहीं आना या बार-बार नींद खुल जाने को कहते हैं और जब गहरी नींद नहीं आती तो बुरे व डरावने स्वप्न आने लगते हैं, उनको दु:स्वप्न कहते हैं । अनिद्रा और दु:स्वप्न का कारण कमजोर (दुर्बल) मन...

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जिन नैनन श्रीकृष्ण बसे, वहां कोई कैसे समाय

‘सूर सूर तुलसी शशि’ सूरदासजी को भक्तिमार्ग का सूर्य कहा जाता है । जिस प्रकार सूर्य एक ही है और अपने प्रकाश और उष्मा से संसार को जीवन प्रदान करता है उसी तरह सूरदासजी ने अपनी भक्ति रचनाओं से मनुष्यों में...

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गीता का स्थितप्रज्ञ भक्त कवि धनंजय

वैष्णव का विशेष लक्षण है भगवान की पूजा (अर्चन भक्ति) वेदों में नित्य प्रात:काल और सायंकाल भगवान की पूजा करने का विधान बताया गया है । भगवान की पूजा-अर्चना (अर्चन भक्ति) नवधा भक्ति का एक अंग है और...

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शनिपीड़ा से मुक्ति के लिए करें इन तीन नामों का जाप

शनिपीड़ा से मुक्ति के लिए करें इन तीन नामों का जाप गाधिश्च कौशिकश्चैव पिप्पलादो महामुनि: । शनैश्चर कृतां पीडां नाशयन्ति स्मृतास्त्रय: ।। (शिवपुराण, शतरुद्रसंहिता 25।20) अर्थात्—मुनि गाधि, कौशिक और...

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दस महाविद्याओं की आराधना का पर्व है गुप्त नवरात्रि

चार नवरात्र हैं चार पुरुषार्थों–धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के प्रतीक देवीभागवत में 1. चैत्र, 2. आषाढ़, 3. आश्विन और 4. माघ—इन चार महीनों में चार नवरात्र बताए गए हैं । सभी नवरात्र शुक्ल पक्ष में प्रतिपदा...

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व्रज में रथ चढ़ चले री गोपाल

मैया मैं रथ चढ़ डोलूंगौ । घर घर तै सब संग खेलन को गोप सखन को बोलूंगौ ।। मोहि जड़ा देहु रथ अति सुंदर, सगरौ साज बनाय । कर सिंगार ताऊ पर मोको, राधा संग बिठाय ।। सुत के वचन सुनत नंदरानी फूली अंग न समाय ।...

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काश, मैं भगवान का प्यारा भक्त होता !

भगवान का प्यारा भक्त भगवान कोरे ज्ञान या कोरे कर्मकाण्ड, व व्रत-उपवास आदि से प्रसन्न होने वाले नहीं हैं, उनको ‘भक्त’ चाहिए । गले में माला डाल देने से, त्रिपुण्ड लगा लेने से, रामनामी ओढ़ लेने से ही कोई...

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