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श्रीकृष्ण कृपा और भक्ति देने वाला ‘श्रीकृष्ण कृपाकटाक्ष स्तोत्र’

चातुर्मास्य में ले कोई एक नियम पालन करने का संकल्प भगवान विष्णु के शयन करने पर चातुर्मास्य (श्रावणमास से कार्तिक तक) जो कोई नियम का पालन किया जाता है, वह अनन्त फल देने वाला होता है । अत: मनुष्य को अपने...

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प्रदोष में शिव आराधना है महाफलदायी

शिव पूजन का सर्वश्रेष्ठ समय है प्रदोष काल शिव पूजा के लिए प्रदोष काल बहुत पवित्र माना गया है । दिन के अवसान (अंत) और रात्रि के आगमन के मध्य का समय ही प्रदोष काल कहलाता है । प्रदोष काल में भगवान शिव...

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शिव को अतिप्रिय रुद्राभिषेक और रुद्राष्टाध्यायी

भगवान शिव के मनभावन श्रावणमास में प्राय: सभी शिवमन्दिरों में रुद्राभिषेक या रुद्री पाठ की बहार देखने को मिलती है । भक्तगण शिवलिंग पर रुद्राध्यायी के मन्त्रों से दूध या जल का अभिषेक करते हैं परन्तु...

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गीता में सगुण और निर्गुण भक्ति

‘अगुन सगुन दुइ ब्रह्म सरुपा’ सारे ब्रह्माण्ड की व्यवस्था, पालन व संहार करने वाली अदृश्य सत्ता को हम ‘ब्रह्म’, ‘भगवान’ या ‘परमात्मा’ कहते हैं । ‘अगुन सगुन दुइ ब्रह्म सरुपा’ अर्थात् ब्रह्म के दो स्वरूप...

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हरियाली अमावस्या : पार्वतीजी की परीक्षा का दिन

श्रावण का पूरा महीना ही भगवान शंकर व पार्वती से जुड़ा है । ऐसा ही श्रावण मास का एक पवित्र दिन है कृष्ण पक्ष की अमावस्या, जिसे ‘हरियाली अमावस्या’ कहते हैं । इस वर्ष यह पर्व शनिवार 11 अगस्त को मनाया...

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भगवान कहां रहते हैं

‘मुझको कहां ढूंढ़ता बंदे, मैं तो तेरे पास में’ पृथ्वी पर भगवान कहां निवास करते है, यह जानने के लिए मनुष्य भगवान को बाहर—मंदिर, मस्जिद, गिरजाघरों, गुरुद्वारों, मठों व वन-पर्वतों में खोजता फिर रहा है;...

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अहंकार से बचने के लिए क्या कहती है गीता

दम्भो दर्पोऽभिमानश्च क्रोध: पारुष्यमेव च । अज्ञानं चाभिजातस्य पार्थ सम्पदमासुरीम् ।। (गीता १६।४) गीता (१६।४) में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं—हे पार्थ ! दम्भ, घमण्ड, अभिमान, क्रोध, कठोरता और अज्ञान—ये सब...

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नरसी मेहता को रासलीला का दर्शन

प्राय: हमारे मन में यह सवाल उठता है कि क्या सचमुच इस जीवित शरीर से भगवान के दर्शन सम्भव हैं ? तो इसका उत्तर है ‘हां’ । संतों ने सही कहा है—दु:ख भोगना हो तो नरकों में जाओ, सुख भोगना है तो स्वर्ग में जाओ...

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श्रीराधाकृष्ण की युगल उपासना स्तोत्र : युगलकिशोराष्टक

अत्यन्त पावन भाद्रपद मास वैष्णवों के लिए भाद्रपद मास अत्यन्त ही पावन महीना है जिसमें कृष्णपक्ष की अष्टमी को उनके आराध्य श्यामतेज श्रीकृष्ण की जयन्ती मनाई जाती है और शुक्ल पक्ष की अष्टमी को श्रीकृष्ण की...

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श्रीकृष्ण का छठी पूजन महोत्सव

मंगल दिवस छठी को आयो । आनंदे व्रजराज जसोदा मनहुं अधन धन पायो ।। कुंवर नहलाय जसोदा रानी कुलदेवी के पांव परायो । बहु प्रकार व्यंजन धरि आगें सब विधि भली मनायो ।। सब ब्रजनारी बधावन आईं सुत को तिलक करायो ।।...

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मोदकप्रिय मुद मंगलदाता श्रीगणेश

बुद्धिभरण अशरण शरण, हरण अमंगल जाल । सिद्धिसदन कविवर बदन, जय जय गिरिजा लाल ।। सब प्रकार के कष्टों का अचूक उपाय गणपति आराधना एक बार नैमिषारण्य में सभी ऋषियों ने सूतजी से पूछा कि सभी कार्य विघ्नरहित कैसे...

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श्रीगणेश आराधना दूर करती है दुर्गुण और दुर्भावना

पूर्वजन्म के संस्कार और कुसंगवश प्रत्येक मनुष्य के हृदय में कभी-न-कभी मात्सर्य (ईर्ष्या, डाह), मद, लोभ, काम, क्रोध, ममता और अहंता आदि दुर्गुण उत्पन्न होते हैं । आसुरी गुण के प्रतीक होने से इन्हें...

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भगवान रंगनाथ की प्रेम-पुजारिन आण्डाल

भगवान से प्रेम का खेल इतना सरस होता है कि इसमें भाग लेने के लिए उनके वे परिकर भी पृथ्वी पर शरीर धारण करते हैं जो संसार के आवागमन से मुक्त हैं । प्रेमी भक्त और प्रेमास्पद प्रभु दोनों ही इस संसार रूपी...

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भगवान श्रीराधाकृष्ण का सांझी उत्सव

सांझी उत्सव का अनूठा इतिहास चौंसठ कलाओं में निपुण भगवान श्रीकृष्ण ने अनेक कलाओं को जन्म दिया उनमें से एक है—सांझी कला । सांझी बनाने की शुरूआत भगवान श्रीकृष्ण और श्रीराधा द्वारा शुरु की गई थी । व्रज के...

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एक यशोदा कलियुग की

बात केवल ढाई सौ वर्ष पुरानी है । मधुपुर नामक गांव में एक ब्राह्मण-दम्पत्ति नारायणकान्त और रत्नेश्वरी रहते थे । वे वास्तविक अर्थ में ब्राह्मण थे—सादा, सुखी और संतोषी जीवन । नारायणकान्त अध्यापन का कार्य...

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धर्मशास्त्रों में काला या कृष्ण धन

सम्राट युधिष्ठिर का राजसूय-यज्ञ क्यों नहीं हुआ सफल ? एक बार भगवान वेदव्यासजी से राजा परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने पूछा—‘सम्राट युधिष्ठिर धर्म के अवतार ‘धर्मराज’ थे । उन्होंने राजसूय-यज्ञ किया और यज्ञ की...

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भोग और मोक्ष देने वाली है श्रीविद्या

देवी श्रीविद्या : एक परिचय सामान्यत: ‘श्री’ शब्द का अर्थ लक्ष्मी माना जाता है किन्तु पुराणों के अनुसार ‘श्री’ शब्द का वास्तविक अर्थ महात्रिपुरसुन्दरी ही है । महालक्ष्मी ने महात्रिपुरसुन्दरी की दीर्घकाल...

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शरत्पूर्णिमा पर महालक्ष्मी को करें इन नामों से प्रसन्न

शरत्पूर्णिमा और महालक्ष्मी शरत्पूर्णिमा को रात्रि में महालक्ष्मी की पूजा होती है । इस दिन रात्रि में महालक्ष्मी यह देखने के लिए पृथ्वी पर घूमती हैं कि ‘कौन जाग रहा है’—‘को जागर्ति’ । जो जाग कर उनकी...

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कार्तिकमास में दीपदान

भगवान विष्णु की प्रसन्नता के लिए कार्तिक मास में आकाशदीप का दान कार्तिक मास में प्रतिदिन प्रात:काल स्नान करके कोमल तुलसीदलों से भगवान विष्णु या दामोदर कृष्ण की पूजा करके रात्रि में आकाशदीप देते...

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यमयातना से मुक्ति देने वाली यमुनाजी

वृन्दावन धाम को वास भलो, जहां पास बहै यमुना पटरानी । जो जन नहाय के ध्यान धरै, वैकुण्ठ मिलै तिनको रजधानी ।। चारहूं वेद बखान करै अस संत, मुनीश, गुणी मनमानी । यमुना यमदूतन टारत है, भव तारत है श्रीराधिका...

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