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सच्चा वैष्णव कौन ?

वैष्णव जन तो तेने कहिये जे पीर पराई जाणे रे। पर दु:खे उपकार करे तोय, मन अभिमान न आणे रे।। ‘वैष्णव जन तो तेने कहिये’ गुजरात के संत कवि नरसी मेहता द्वारा रचित भजन है जो महात्मा गाँधी को बहुत प्रिय था।...

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कब से शुरु हुई शिवलिंग पूजन की परम्परा ?

आ गई महाशिवरात्रि पधारो शंकरजी । कष्ट मिटाओ पार उतारो दयालु शंकरजी ।। तुम मन-मन में हो, मन-मन में है नाम तेरा । तुम हो नीलकंठ, है कंठ-कंठ में नाम तेरा ।। क्या भेंट चढ़ाएं हम, निर्धन का घर सूना है । ले...

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अद्भुत है शिवलिंग की उपासना

सृष्टि के आरम्भ से ही ब्रह्मा आदि सभी देवता, रामावतार में भगवान श्रीराम, ऋषि-मुनि, यक्ष, विद्याधर, सिद्धगण, पितर, दैत्य, राक्षस, पिशाच, किन्नर आदि विभिन्न प्रकार के शिवलिंगों का पूजन करते आए हैं। जहां...

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यमराज को मिला मृत्युदण्ड

प्रबल प्रेम के पाले पड़कर शिव को नियम बदलते देखा । उनका मान टले टल जाये, भक्त का बाल-बांका न होते देखा ।। जब से भगवान हैं, तभी से उनके भक्त हैं और जब से भगवान की कथाएं हैं, तभी से भक्तों की कथा शुरु...

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ग्रह-नक्षत्र, कर्मफल और सुख-दु:ख

प्रभु बैठे आकाश में लेकर कलम दवात । खाते में वह हर घड़ी लिखते सबकी बात ।। मेरे मालिक की दुकान में सब लोगों का खाता । जितना जिसके भाग्य में होता वह उतना ही पाता ।। क्या साधु क्या संत, गृहस्थी, क्या राजा...

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भगवान श्रीकृष्ण और माया

माया महा ठगनी हम जानी । तिरगुन फांस लिए कर डोले, बोले मधुरे बानी ।। केसव के कमला वे बैठी, शिव के भवन भवानी । पंडा के मूरत वे बैठीं, तीरथ में भई पानी ।। योगी के योगन वे बैठी, राजा के घर रानी । काहू के...

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श्रीलड्डूगोपाल की पूजा की सरल विधि

करै कृष्ण की जो भक्ति अनन्यं । सुधन्यं, सुधन्यं, सुधन्यं, सुधन्यं ।। सदाँ परिक्रमा दंडवत, नैम लीने । सुने गान गोविन्द, गाथा प्रवीने ।। अलंकार, श्रृंगार, हरि के बनावे । रचै राजभोग, महाद्रव्य लावे ।। करै...

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रात्रि में सोते समय करें यह उपाय, जाग्रत होंगी आन्तरिक शक्तियां

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।। (देवीसूक्तम् १२) ‘श’ नाम ऐश्वर्य का और ‘क्ति’ नाम पराक्रम का है अत: ऐश्वर्य-पराक्रमस्वरूप और इन दोनों को देने वाली को...

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देवी मंगलचण्डिका का मन्त्र व स्तोत्रपाठ करता है सर्वमंगल

मंगल-ही-मंगल करने व सभी शक्तियां देने वाली देवी मंगलचण्डिका ‘चण्डी’ शब्द का अर्थ ‘दक्ष या चतुर’ और ‘मंगल’ शब्द का अर्थ है ‘कल्याण’; अत: जो कल्याण करने में दक्ष हो उसे ‘मंगलचण्डिका’ कहते हैं । एक अन्य...

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नवरात्र में मां जगदम्बा को किस दिन लगाएं कौन सा भोग

‘महामाया मां जगदम्बा परम कृपालु हैं और उनकी कृपा का भण्डार अटूट है । अन्य देवता अपने हाथों में अभय और वर मुद्रा धारण करते हैं अर्थात् वर और अभय देने के लिए हाथ काम में लेते हैं ; परन्तु करुणामयी मां ही...

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गौ के नाम पर है श्रीकृष्णलोक का नाम

गोकुलेश गोविन्द प्रभु, त्रिभुवन के प्रतिपाल । गो-गोवर्धन हेतु हरि, आपु बने गोपाल ।। लीला मात्र न जानिए, है अति मरम विशाल । गो-विभूति गोलोक की, गोपालक गोपाल।। (श्रीराधाकृष्णजी श्रोत्रिय, ‘साँवरा’) गौ...

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हनुमानजी की पूजाविधि और सिद्ध मन्त्र

हनुमानजी अपने अखण्ड ब्रह्मचर्य के पालन से कलियुग में सबसे अधिक पूजित और प्रसिद्ध हैं । आपत्तियों के निवारण के लिए  उनके वीररूप की और सुखप्राप्ति के लिए दास रूप की आराधना की जाती है। वानर होने पर भी...

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राम हैं वैद्य और राम-नाम है रामबाण औषधि

श्रीराम ही सबसे बड़े और सच्चे वैद्य ‘व्याधि अनेक हैं, वैद्य अनेक हैं, उपचार भी अनेक हैं; किन्तु यदि व्याधि को एक ही देखें और उसको मिटाने वाला वैद्य एक राम ही है—ऐसा समझें तो हम बहुत-से झंझटों से बच...

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अत्यन्त फलदायी हैं हनुमानजी के 108 नाम

संसार में ऐसे तो उदाहरण हैं जहां स्वामी ने सेवक को अपने समान कर दिया हो, किन्तु स्वामी ने सेवक को अपने से ऊंचा मानकर सम्मान दिया है, यह केवल श्रीरामचरित्र में ही देखने को मिलता है । श्रीरामचरितमानस में...

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5 Daily bhajans of Shri Hanuman

कैसा करिश्मा तूने हनुमान कर दिया की राम ने कलयुग तुम्हारे नाम कर दिया – Hanuman Bhajan By Mukesh ji हनुमत ढूंढ रहे किसी ने मेरा राम देखा वीर हनुमाना अति बलवाना | Veer Hanumana Ati Balwana हवा में उड़ता...

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क्या आपको स्वप्न में साँप दिखायी देते हैं?

देवों के प्रिय हैं सर्प मानव सभ्यता के प्रारम्भ से ही नागों/सर्पों को कालरूप और मारक मानकर जनमानस में उनके प्रति विशेष भय की भावना रही है । देवता तो भक्त और परोपकारियों को ही आश्रय देते हैं । यदि सर्प...

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वैशाखमास में सत्तू दान की महिमा

मनुस्मृति के अनुसार कलियुग में धर्म के चार चरणों में से केवल एक धर्म ‘दान’ ही बच गया है—‘दानमेकं कलौ युगे’ । तुलसीदासजी ने भी राचमा (७।१०३ख) में यही बात कही है— प्रगट चारि पद धर्म के कलि महुं एक प्रधान...

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भगवान श्रीकृष्ण की अद्भुत अतिथि-सेवा

भगवान शंकर के रौद्ररूप के अवतार हैं दुर्वासा ऋषि भक्तों के धर्म की परीक्षा करने और उनकी भक्ति को बढ़ाने के लिए भगवान शंकर ने ही दुर्वासा ऋषि के रुप में अवतार धारण किया। भगवान शंकर के रुद्ररूप से...

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अक्षय तृतीया पर करें इन चीजों का दान

सभी कर्मों का फल हो जाता है अक्षय, इसलिए यह तिथि कहलाती है अक्षय तृतीया वैशाख शुक्लपक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया,  आखातीज, या आखा तृतीया कहते हैं । इस दिन दिए हुए दान और किए हुए स्नान, होम, जप आदि का...

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भगवान विष्णु के चरणों से निकला अमृत है गंगा

नीराकार ब्रह्म अर्थात् जलरूप ब्रह्म या द्रवरूप में ब्रह्म कोई ‘नराकार ब्रह्म’ (राम, कृष्ण) को भजता है , तो कोई ‘निराकार ब्रह्म’ को; परन्तु कलियुग में मनुष्य के पाप-तापों की शान्ति ‘नीराकार ब्रह्म’ से...

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