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क्या है श्रीसत्यनारायण व्रतकथा का संदेश

नमो भगवते नित्यं सत्यदेवाय धीमहि। चतु:पदार्थदात्रे च नमस्तुभ्यं नमो नम:।। अर्थात्—षडैश्वर्यरूप भगवान सत्यदेव को नमस्कार है, मैं आपका सदा ध्यान करता हूँ। आप धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष—इन चारों पुरुषार्थों...

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सांवले सलोने सुंदर श्याम

श्याम श्याम केहि बिधि भये कहो सखी यह बात। मात तात गोरे सबै कारो कृष्णहि गात।। बिछुरत को अति दुख लह्यो, सुरति करी बसुजाम। राधा की विरहाग्नि में भयो श्याम जरि श्याम।। (रामरत्न अवस्थी) अर्थात्—एक सखी...

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सूर्य की संक्रान्ति है महाफलदायी

संक्रान्ति का अर्थ सूर्य जिस राशि पर स्थित हो, उसे छोड़कर जब दूसरी राशि में प्रवेश करे, उस समय का नाम संक्रान्ति है। सूर्य बारह स्वरूप धारण करके बारह महीनों में बारह राशियों में संक्रमण करते रहते हैं;...

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तीर्थयात्रा का फल

‘जिसके हाथ सेवाकार्य में लगे हैं, पैर भगवान के स्थानों में जाते है, जिसका मन भगवान के चिन्तन में संलग्न रहता है, जो कष्ट सहकर भी अपने धर्म का पालन करता है, जिसकी भगवान के कृपापात्र के रूप में कीर्ति...

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सुदर्शनचक्र अवतार भगवान श्रीनिम्बार्काचार्यजी

श्रीराधा रासेश्वरी मोहन मदनगुपाल। अलबेले उर में रहैं ब्रजबल्लभ दोउ लाल।। कलियुग के चार सम्प्रदाय और उनके आचार्य भगवान श्रीहरि कभी स्वयं तो कभी अपने दिव्य पार्षदों के द्वारा भूलोक के अज्ञान-अंधकार को...

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देवताओं की गणेश आराधना

माघ शुक्ल चतुर्थी पर विशेष सनकादि-सूरज-चंद खड़े आरती करें, औ शेषनाग गंध की ले धूप को धरें। नारद बजावें बीन इंदर चंवर ले ढरें, चारों मुखन से अस्तुति ब्रह्माजी उच्चरें।। जो जो शरन में आया है कीना उसे...

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वल्लभ सम्प्रदाय में श्रीकृष्ण की वात्सल्यपूर्ण अष्टयाम सेवा

‘शास्त्र एक गीता ही है जिसको कि देवकीनन्दन श्रीकृष्ण ने गाया। देव भी एक देवकीसुत कृष्ण ही हैं, मन्त्र भी बस उनके नाम ही हैं और कर्म भी केवल उनकी सेवा ही है।’ (महाप्रभु श्रीमद्वल्लभाचार्यजी) भगवान के...

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भगवान का पेट कब भरता है?

भाव का भूखा हूँ मैं और भाव ही एक सार है। भाव से मुझको भजे तो भव से बेड़ा पार है।। भाव बिन सब कुछ भी दे डालो तो मैं लेता नहीं। भाव से एक फूल भी दे तो मुझे स्वीकार है।। भाव जिस जन में नहीं उसकी मुझे...

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क्या भगवान शिव को अर्पित नैवेद्य ग्रहण करना चाहिए ?

सौवर्णे नवरत्नखण्ड रचिते पात्रे घृतं पायसं भक्ष्यं पंचविधं पयोदधियुतं रम्भाफलं पानकम्। शाकानामयुतं जलं रुचिकरं कर्पूरखण्डोज्ज्वलं ताम्बूलं मनसा मया विरचितं भक्त्या प्रभो स्वीकुरु।। (शिवमानसपूजा)...

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गणपति के नाम, देते हैं खुशहाली का वरदान

प्रकृति पुरुष तैं परे ध्यान गनपति को करिहै। नसैं सकल तिनि विघ्न अवसि भवसागर तरिहै।। पाठ-हवन पूजन करें, पाप रहित होवैं भगत। सब विघ्ननि तैं छूटिकैं, लेंहिं जनम नहिं पुनि जगत।। (श्रीप्रभुदत्त...

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सच्चा वैष्णव कौन ?

वैष्णव जन तो तेने कहिये जे पीर पराई जाणे रे। पर दु:खे उपकार करे तोय, मन अभिमान न आणे रे।। ‘वैष्णव जन तो तेने कहिये’ गुजरात के संत कवि नरसी मेहता द्वारा रचित भजन है जो महात्मा गाँधी को बहुत प्रिय था।...

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कब से शुरु हुई शिवलिंग पूजन की परम्परा ?

आ गई महाशिवरात्रि पधारो शंकरजी । कष्ट मिटाओ पार उतारो दयालु शंकरजी ।। तुम मन-मन में हो, मन-मन में है नाम तेरा । तुम हो नीलकंठ, है कंठ-कंठ में नाम तेरा ।। क्या भेंट चढ़ाएं हम, निर्धन का घर सूना है । ले...

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अद्भुत है शिवलिंग की उपासना

सृष्टि के आरम्भ से ही ब्रह्मा आदि सभी देवता, रामावतार में भगवान श्रीराम, ऋषि-मुनि, यक्ष, विद्याधर, सिद्धगण, पितर, दैत्य, राक्षस, पिशाच, किन्नर आदि विभिन्न प्रकार के शिवलिंगों का पूजन करते आए हैं। जहां...

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यमराज को मिला मृत्युदण्ड

प्रबल प्रेम के पाले पड़कर शिव को नियम बदलते देखा । उनका मान टले टल जाये, भक्त का बाल-बांका न होते देखा ।। जब से भगवान हैं, तभी से उनके भक्त हैं और जब से भगवान की कथाएं हैं, तभी से भक्तों की कथा शुरु...

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ग्रह-नक्षत्र, कर्मफल और सुख-दु:ख

प्रभु बैठे आकाश में लेकर कलम दवात । खाते में वह हर घड़ी लिखते सबकी बात ।। मेरे मालिक की दुकान में सब लोगों का खाता । जितना जिसके भाग्य में होता वह उतना ही पाता ।। क्या साधु क्या संत, गृहस्थी, क्या राजा...

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भगवान श्रीकृष्ण और माया

माया महा ठगनी हम जानी । तिरगुन फांस लिए कर डोले, बोले मधुरे बानी ।। केसव के कमला वे बैठी, शिव के भवन भवानी । पंडा के मूरत वे बैठीं, तीरथ में भई पानी ।। योगी के योगन वे बैठी, राजा के घर रानी । काहू के...

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श्रीलड्डूगोपाल की पूजा की सरल विधि

करै कृष्ण की जो भक्ति अनन्यं । सुधन्यं, सुधन्यं, सुधन्यं, सुधन्यं ।। सदाँ परिक्रमा दंडवत, नैम लीने । सुने गान गोविन्द, गाथा प्रवीने ।। अलंकार, श्रृंगार, हरि के बनावे । रचै राजभोग, महाद्रव्य लावे ।। करै...

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भगवान का पेट कब भरता है?

भाव का भूखा हूँ मैं और भाव ही एक सार है। भाव से मुझको भजे तो भव से बेड़ा पार है।। भाव बिन सब कुछ भी दे डालो तो मैं लेता नहीं। भाव से एक फूल भी दे तो मुझे स्वीकार है।। भाव जिस जन में नहीं उसकी मुझे...

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क्या भगवान शिव को अर्पित नैवेद्य ग्रहण करना चाहिए ?

सौवर्णे नवरत्नखण्ड रचिते पात्रे घृतं पायसं भक्ष्यं पंचविधं पयोदधियुतं रम्भाफलं पानकम्। शाकानामयुतं जलं रुचिकरं कर्पूरखण्डोज्ज्वलं ताम्बूलं मनसा मया विरचितं भक्त्या प्रभो स्वीकुरु।। (शिवमानसपूजा)...

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गणपति के नाम, देते हैं खुशहाली का वरदान

प्रकृति पुरुष तैं परे ध्यान गणपति को करिहै। नसैं सकल तिनि विघ्न अवसि भवसागर तरिहै।। पाठ-हवन पूजन करें, पाप रहित होवैं भगत। सब विघ्ननि तैं छूटिकैं, लेंहिं जनम नहिं पुनि जगत।। (श्रीप्रभुदत्त...

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