इसे ‘तारकब्रह्म’ भी कहते हैं क्योंकि यह मन्त्र परब्रह्म का वह रूप है जिसके जपने मात्र से ही मनुष्य संसार-सागर से पार हो जाता है।
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इसे ‘तारकब्रह्म’ भी कहते हैं क्योंकि यह मन्त्र परब्रह्म का वह रूप है जिसके जपने मात्र से ही मनुष्य संसार-सागर से पार हो जाता है।
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